जुलाई 21, 2021

आइडिया ऑफ इंडिया और बकरीद

यात्राओं में अक्सर कुछ न कुछ ऐसा दिख जाता है जो याद रहने लायक हो , एक मुस्कान ले आये या फिर चारों ओर की कड़वाहट के  बीच कोई मधुर , स्नेहसिक्त पल दे सके । मेरे लिए यात्राओं के ये पल बेहद ख़ास होते हैं । मैं उन्हें सहेजकर रखता हूँ किसी यादगारी सामान की तरह । बेशक मेरे फ्रिज़ पर अलग अलग जगहों से जुड़े फ्रिज़ मैग्नेट न हों, चाहे अपने को 'ट्रेवलर' कहने का कभी मन न हो लेकिन वे कहानियाँ खूब सारी हैं जो दिल खुश कर दे । मजे की बात ऐसी कि हर यात्रा में ऐसे एकाध किस्से ज़रूर जुड़ते हैं । 


आज दोपहर बाद दिल्ली छूट रही थी और धीरे -धीरे वे बातें हावी होती जा रही थी जो रोज़ाना की ज़िंदगी के लिए ज़रूरी हैं । अपने काम में मुझे बहुत आनंद आता है लेकिन अंततः वह काम ही है , उसकी अपनी आवश्यकताएँ और तरीके हैं जो अक्सर निराश कर जाते हैं । दिल्ली में बकरीद मनाया जा रहा होगा लेकिन मैं जहाँ काम करता हूँ वहाँ कल ही यह त्योहार बीत चुका था । अपना बैग जमा करवाने के लिए मैं लाइन में लग गया । आज शायद पहली बार था जब मैं किसी झुंझलाहट में नहीं था वरना लंबी लाइन , अनाप शनाप नियम कायदे और लाइन तोड़कर आगे बढ़ जाने वाले और सबसे बढ़कर दिल्ली छूटने का असर एक अलग ही नकारात्मक भाव में भरे रहते हैं । 


इंडिगो एयरलाइंस के ग्राउंड स्टाफ के लोग अपने लिए निर्धारित वेश के बदले अलग ही सजधज में लोगों की मदद कर रहे थे । लड़कियों के लिए चूड़ीदार और लड़कों का कुर्ता - पाजामा - बंडी या फिर केवल कुर्ता - पाजामा । यह एक चकित करने वाला नज़ारा था ।  एक बार को इसका कारण समझ नहीं आया फिर बत्ती जली कि भैया आज तो बकरीद है । इंडिगो वाले बकरीद मना रहे हैं । आज सामान्य नीली ड्रेस नहीं बल्कि वे वस्त्र थे जिनसे आंशिक रूप से ही सही लेकिन मुसलमान पहचान अवश्य उभर रहा था । आगे एक बैनर पर उस लिपि में ईद मुबारक लिखा था जिसे देखते ही एक बड़ी आबादी बिदकने लगती है । लेकिन उस बैनर की खास बात अंग्रेजी में लिखी थी - India by Indigo. 


लोगों के पास इस पूरी क़ावयद को कॉरपोरेट का ड्रामा, पब्लिसिटी स्टंट आदि करार करने के तर्क हो सकते हैं । वे खारिज़ करने पर आएँ तो ऐसा करने के कई स्तर खोज लेंगे । लोग थोड़े दिनों पहले से ही बकरों की ज़िंदगी बचाने में लग गए हैं । खास आज के दिन तो इस त्योहार के ख़िलाफ़ बहुत कुछ ट्रेंड कर रहा है । कल से अगली बकरीद तक जो बकरे कटेंगे उनके लिए कुछ भी ट्रेंड फ्रेंड नहीं करेगा । पर बकरीद की खिलाफत होगी । असल विरोध बकरीद का नहीं है बल्कि मुसलमान पहचान का है । उस पहचान से जुड़ी बातों का विरोध होना ही है वरना देश में कितनी ही देवियों के द्वार पर कितने ही जानवरों की बलि दी जाती है और उसे 'प्रसाद' मानकर 'ग्रहण' किया जाता है । 


वापस इंडिगो पर । यह कंपनी मुसलमानों के इस त्योहार को मना रही है । हमारे देश में हाल के दिनों में अलग धार्मिक पहचान मुसलमानों की मुश्किलें बढ़ी हैं । उन्हें अपने बीच का समझने के बजाय देश भर में उनके प्रति अदरिंग की प्रवृत्ति बढ़ी है । हिंसा , घृणा द्वेष सब में भारी वृद्धि हुई है । ऐसे  में देश की अग्रणी विमानन कंपनी बहुसंख्यक समुदाय के साथ जाने वाली वैचारिकी के विरुद्ध खुले तौर पर ईद मना रही है और असल आइडिया ऑफ इंडिया को दिखा रही है । 


आज के माहौल में ऐसा करना हिम्मत का काम है । जरा जरा सी बात पर बायकॉट ट्वीट करने वाले लोगों का भय रहा होगा , कंपनी के शेयर गिरने की आशंका रही होगी लेकिन सबके विरुद्ध जाने की एक हिम्मत भी रही होगी । मैंने वहाँ मौजूद दो कर्मचारियों से बात कर उनकी फोटो ले ली , उन्होंने मुझे अपने फ्रेम में रखकर तस्वीर खींची । वहाँ जितने लोग मौजूद थे उनमें से कोई मुसलमान नहीं था लेकिन त्योहार की मेलजोल थी,  हँसी - मुस्कान थी । 

नोट : इस साल की बकरीद भी बिना किसी दावत के गुज़री , इंडिगो ने कोई विशेष सुविधा मुझे नहीं दी । 

1 टिप्पणी:

  1. Kriti Wadhera22/7/21

    दिल्ली जब आयें तो बताईयेगा ज़रूर...दावत उधार है आपकी।
    ईद मुबारक हो आलोक जी...खूबसूरत लेखनी।

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