और
ये महान धोनी की महान टीम भी दक्षिण अफ्रीका में सीरीज नहीं जीत पायी बल्कि हार
गयी ! उम्मीदें तो बहुत लेकर गए थे ये लोग लेकिन उन पर खतरे के बादल बिलकुल
शुरुआती दिनों में ही मंडराने लगे थे जब 'धोनी और साथी'
एक भी एकदिवसीय नहीं जीत पाये और
जो हारे वह ऐसे वैसे नहीं बल्कि भरी अंतर से हारे ! उन दिनों में आंध्र प्रदेश में
था । वहाँ धोनी की फैन फोलोइंग देख कर दंग रह गया । हारते हुए मैच में भी एक चौका
लगते ही लोगों का उत्साह हिलोरें लेने लगता था । और वे सोचते कि आगे और ये चौके पड़ते
ही रहेंगे । पर अफसोस अगली ही गेंद किसी महान को ले उड़ती थी और मेरे साथियों के
चेहरे बुझ जाते जैसे कि वो एक दीया !
शिखर
धवन इधर हाल में भारत की टीम में धोनी का नया पत्ता है जो एक बार भारत में चलते ही
उसके हाथों का ट्रम्प कार्ड बन गया था । कप्तान के हाथों का पत्ता बनना शिखर के
लिए इतने गर्व की बात रही कि जिस भी दिन कैच छूटा और उसने शतक बनाया तो अपनी मूछों
पर ताव देता । तब वह इतना भद्दा लगता कि पूछो मत । पर धोनी और उसके ख़ैरख्वाहों के
लिए वह इस सामंती खेल का नया सामंती चेहरा था । इस बीच उसे एक बार बच्चों के साथ
अफ्रीका भेजा भी गया था और वहाँ उसने पता नहीं कहाँ के बच्चों की धुलाई कर दी थी
और घोषणा कर दी कि एकदिवसीय क्रिकेट में अब तीन सौ रन भी बन सकते हैं । यह तो नहीं
कहा कि वह तीन सौ रन बनाएगा पर उसके भाव यही थे । लेकिन इस दौरे ने उसकी मूछों पर
ताव भी नहीं पड़ने दी । बिचारा पूरे दौरे पर एक अर्धशतक के लिए तरस गया !
जय
हो रोहित शर्मा आपको तो उघाड़ दिया अफ्रीका दौरे ने ! रोहित को बंबई की ओर से खेलने
का फ़ायदा बहुत मिला जैसे कि किसी भी बंबईय्ये को भारत की क्रिकेट में मिलता है ।
हाँ वसीम जाफ़र और मुरली कार्तिक को नहीं
मिलता है जो ओवरस्मार्ट बनते हैं । बीसीसीआई वैसे भी ओवरस्मार्ट लोगों को नहीं
पसंद करती उदाहरण के लिए मोहिंदर अमरनाथ ,
वीरेंद्र सहवाग , गंभीर
, युसुफ पठन आदि (एक दौर में गांगुली और द्रविड़ भी स्मार्ट बने और
गए बूट लादने ) । बाहर हाल रोहित शर्मा ! उसने औस्ट्रेलिया की दोयम दर्जे की टीम
को पीट के दोहरा शतक बना दिया था यहाँ भारत में जो धोनी उसके आक़ा और उनके चमचों
-बेलचों की नजर में उसकी प्रतिभा को साबित करने वाला सिद्ध हुआ । नहीं तो जीतने
मौके उसे मिले थे उतने किसी को नहीं मिलते । लोग उसकी कम उम्र और प्रतिभा का हवाला
देते हैं उनके लिए यह कि उसी उम्र में उससे ज्यादा मैच खेलने और रन बनाने वाले
मुहम्मद कैफ को सीनियर मान कर और बहुत मौके दिए ऐसा कह कर टीम से निकाल दिया गया ।
उन्हीं रोहित शर्मा को अफ्रीका दौरे ने फिर से उस हालत में ला दिया जहां वह पहले
थे । उनकी प्रतिभा उनके भीतर रह गयी और उघड गया उनका खेलने का कौशल ! पर फिर भी
उनकी उम्र अभी कम है और उन्हें अभी बहुत से मौके मिलने हैं !
बची
इज्जत तो थोड़ी सी विराट कोहली ,
पुजारा और रहाणे की जो धोनी की
जिद से नहीं बल्कि अपनी प्रतिभा से टीम में हैं । धोनी के चाहने और न चाहने से
जिनके चयन पर कोई फरक नहीं पड़ता । इन खिलाड़ियों के दम पर ही भारत के खेल प्रशंसक
और समीक्षक कह रहे हैं कि भारत के लिए
दक्षिण अफ्रीका में कुछ सकारत्मक
रहा !
और
रही बात धोनी की तो भाई साहब ने एक बार एंग्लैंड के एक दोहरा शतक बना लिया और उनके
दायित्वों की इतिश्री हो गयी । यह उनका वही दोहरा शतक था जिसका धोनी से लेकर
श्रीनि तक इंतजार कर रहे थे । उससे पहले धोनी , गंभीर, सहवाग
और यहाँ तक कि तेंदुलकर सब खराब फॉर्म में चल रहे थे । और जैसे ही धोनी का दोहरा
शतक बना बाकी सब पीछे हो गए और उन्हें नकारा साबित करने में चयनकर्ताओं ने कहाँ
देर लगाई ! उसके बाद से धोनी फिर वही धोनी हैं जो बस श्रीलंका जैसी गेंदबाजी या
वेस्ट इंडीज जैसी गेंदबाजी वाली टीम के साथ रन बनाएँगे ।
भारतीय गेंदबाज तो भाई हमेशा से निराश करते आ रहे हैं
इसलिए उनपर कोई विशेष बात करना बेकार सा ही है । उनके टुकड़ों में एक दो प्रदर्शन को छोड़ दें तो वही
हालत रही जो पूर्व के दौरों पर रहती थी ।
पर
इतने पर भी यह देख के हैरानी होती है कि ये रवि शास्त्री और गावस्कर जैसे लोग अपनी
कमेंटरी में इन नॉन-पेरफोरमर्स पर जरा भी तल्ख़ नहीं हो पा रहे हैं । अरे भाई डरते
काहे हो श्रीनिवासन हमेशा के लिए रहने नहीं आया है । कहने के लिए डरना कह दिया
लेकिन यह डरने से ज्यादा पैसे का मामला है । अभी बहुत दिन नहीं हुए जब यह टीम
इंग्लैंड में खेल रही थी तो कमेंटरी करते हुए नासिर हुसैन ने कहा था कि गावस्कर और
रवि शास्त्री बी सी सी आई से पैसे लेकर श्रीनि के विचारों को प्रमाणित करते हैं ।
फिर
रही बात कपिलदेव जैसे धोनी के परम प्रशंसकों की जो किसी न किसी टीवी पर बैठकर
फर्जी प्रवचन देते मिल जाएंगे तो मामला अब ऐसा बन गया है कि उन्हें यदि जीना है और
खाना कमाना है तो धोनी की प्रशंसा करनी पड़ेगी क्योंकि धोनी ठहरा श्रीनि का पिद्दी
। पिद्दी की प्रशंसा न करोगे तो कैसे टिकोगे यार जल में रहकर मगर के कानून की ही
बात करो !
यहाँ
मैं मैच के ताजा स्कोर को टीवी नहीं बल्कि क्रीकबज़ नामक एक वेबसाइट के माध्यम से
जनता हूँ । वहाँ लाइव कमेंटरी भी लिखी जाती है । पूरे अफ्रीका दौरे के दौरान एक
बार भी ऐसा नहीं देखा कि इस पर लिखने वालों ने किसी अफ्रीकी खिलाड़ी की प्रशंसा की
हो । दो लगातार चौके मार कर आउट हो जाने वाले शिखर धवन को शतक बनाने वाले कैलिस से ज्यादा प्रशंसा मिलती
थी । और धोनी के हर निर्णय की जम कर प्रशंसा । भारत के पिछले अफ्रीकी दौरे के
दौरान वहाँ के कमेंटेटर भी ठीक इसी तरह अपने खिलाड़ियों की ही प्रशंसा करते थे ।
बहरहाल
मुझे दक्षिण अफ्रीका दौरे का इंतजार था क्योंकि धोनी की टीम से संबंध में मेरी जो
समझ बनी है उसे एक बार और साबित होते देखना चाहता था । धोनी ने जो टीम बनाई उसमें
प्रतिभा से ज्यादा संबंध चल रहे हैं और क्रिकेट ऐसा खेल है कि घिसते घिसते कोई भी एक शतक बना ही देता
है और डेढ़ दो सौ रन खा कर रवीद्र जडेजा की तरह एक बार पाँच विकेट ले सकता है लेकिन
न तो एक बार भी यह टीम पाँच सौ रन बना पायी है और नहीं किसी मजबूत टीम को पारी से
हरा पायी है । फिर भी पैसे लेकर विशेषज्ञ
धोनी को महान साबित करने में लगे हैं क्योंकि खिलाड़ियों ने उसे दो दो विश्वकप
उठाने का मौका जो दे दिया !
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