अक्तूबर 16, 2011

रिक्शे पर कुत्ता

ये तो कहीं नहीं लिखा न कि कुत्ता केवल हसीन लड़कियाँ और गबद्दू लड़के ही रख सकते हैं पर अपने देश में यह कितनी मजबूती से स्थापित हो गया है इसे आम जनजीवन में देखा जा सकता है । गरीबी भारत में आमतौर पर सारी बुराइयों के लिए पर्याप्त आधार है । किसी भी गरीब को किसी भी दोष के लिए दोषी बड़ी आसानी ठहराया जा सकता है । इस अवधारणा का प्रयोग सरकारी तंत्र से लेकर आम आदमी तक सभी करते हैं । यदि कोई व्यक्ति जिसके पास पैसे नहीं हैं और उसके पास कोई कीमती वस्तु है तो उसे या तो चोरी करके लाया हुआ मान लिया जाता है या छीन कर लाया हुआ ! उस दिन दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रा मार्ग पर 4 बड़े घरों की लड़कियाँ एक रिक्शा वाले को रोक कर खड़ी थी । सारे विद्यार्थी अपनी अपनी कक्षाओं की ओर चले जा रहे थे । लड़कियाँ उस जोर जोर से चिल्ला रही थी और पास के दूसरे रिक्शे वाले अपनी अपनी 'गाड़ी' ले कर वहाँ से हट रहे थे । उस रिक्शा वाले के पास एक भूटानी नस्ल का कुत्ता था और उन लड़कियों के अनुसार इस कुत्ते का उस रिक्शा वाले के पास रहना कुत्ते की सलामती के लिए सही नहीं है । उस से वे पूछ रही हैं कि इस कुत्ते को कहाँ से चुराया ! एक अपने बैग से बिस्कुट निकाल कर कुत्ते को खिलाने का प्रयास कर रही है और ले बलैया कुत्ता उस बिस्कुट से मुँह फेर रहा है ! 'भैया तुमने इसके साथ क्या किया जो ये कुछ भी नहीं का रहा है ' । अब लड़कियाँ उस कुत्ते को बीमार साबित करने लगी और कहने लगी कि कुत्ता उन्हें दे दिया जाए ताकि वे उसे डॉक्टर के पास ले जाएँगी और अपने देखभाल करेंगी । अब रिक्शा वाले की आँखों में आँसू आ गए ! ' मैं इसकी देखभाल के लिए पिछले दो दिनों से ठीक से काम नहीं कर पा रहा हूँ ...ओर इसको अभी सुबह ही खिलाया है , पेट भरा है अभी कुछ नहीं खाएगा ! '
लड़कियों की जिद और रिक्शा वाले के आँसू के बीच कुत्ता बड़े आराम से रिक्शे की फर्श से अपनी दाढ़ सटाये ताक रहा था । उसकी मासूमियत ही ऐसी है कि कोई भी उसे पाने के लिए मचल जाए !! इस बीच पुलिस आ गयी । पता चला इन्हीं लड़कियों ने फोन करके बुलाया था । लड़कियों का कहना था कि इस कुत्ते का जीवन इस रिक्शे पर सुरक्षित नही है अत: कुत्ता उन्हें दे दिया जाए !! उन्होंने पुलिस को दिखाया कि कुत्ते को कितनी मजबूती से बाँधा गया है इससे वह कभी भी खतरे में पर सकता है ! रिक्शा वाला अब डर गया था । पुलिस ने दो चार सवाल पूछे जिससे पता चला कि उसने वह कुत्ता खरीदा है । पुलिस ने लड़कियों को अपने कॉलेज जाने को कहा और रिक्शा वाले को कहीं और ।
यह घटना रिक्शा चलाने वालों मजदूरों आदि के प्रति हमारे नजरिये को समझने के कुछ आधार देती है ! एक तो गरीबों के पास कोई ऐश्वर्य मूलक वस्तु न हो और यदि हो तो उसे छीन लिया जाए । दूसरे छीनने की प्रक्रिया में सक्षम वर्ग पुलिस को अपना हथियार मानता है ।
एक बात ये लड़कियाँ या इस तरह के अन्य लोग कब समझेंगे कि कुत्ते के साथ साथ मनुष्य की भावनाएँ भी महत्वपूर्ण होती है और केवल कुत्ता ही प्यार करने की चीज नहीं बल्कि सामान्य मानव के प्रति भी संवेदना अपेक्षित है ।

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