पिछली गर्मी की बात है । पास की एक बस्ती एक स्त्री रात में किसी काम से अपनी रसोई में गयी । वहाँ का नज़ारा देखकर उसके होश उड़ गए । सामने खड़ा हाथी बड़े ही डरावने अंदाज़ में दीवार तोड़ने की कोशिश कर रहा था । वह डरकर भागी और फिसल गयी , उसका हाथ टूट गया ।
जब पानी खूब बरसने लगता है पशु – पक्षी अपनी तृप्ति के स्रोत अपने आसपास ही पाने लगते हैं । रुक जाता है उनका असंख्य कथा कहानियों में आना । गर्मी में जब हाथी बाहर निकलते हैं तो खबर बनती है , भय का एक वातावरण घिर आता है , रोमांच की चाह वाले लोग सूखे पत्तों की एक खड़क पर भागने का अभ्यास करने लगते हैं ।
मुझे हाथी बड़े प्रिय लगते हैं । बहुत से लोग हाथियों के प्रिय होने से इत्तिफाक़ नहीं रखते । क्या कहा हाथी प्रिय नहीं लगते ? हाथी किसे प्रिय नहीं लगते ? कितने तो प्यारे होते हैं , कभी चाल देखी है उनकी ? जंगल से सटे गाँव के किसी दालान पर बैठे - बैठे लोग हाथी की चाल के बारे में नहीं सोचते । वे हाथियों द्वारा अपनी फसल को नष्ट होते देखते हैं । अपनी आजीविका के आधार को नष्ट करने वाले के प्रति स्नेह और प्यार कैसे पनप सकता है ! हाथी को प्यारा वही कहते हैं जिनका कुछ भी दाँव पर न लगा हो ।
इस बारिश के पहले वाली गर्मी में कई बार हाथी देखने को मिल गए । मेरे लिए यह रोमांच और आनंद की बात थी । अबतक के केरल प्रवास में ऐसा पहली बार हुआ था । कोविड के कारण इंसानी गतिविधियों के सीमित हो जाने से हाथी सहित अन्य जंगली जीव जैसे कि हिरण और भेड़ियों के लिए बाहर आना आसान हो गया । नितांत शहरी और अपनी दुनिया में मस्त इंसान की तरह देखें तो इससे बढ़िया बात नहीं हो सकती । ये जीव अपना क्षेत्र विस्तार कर रहे हैं बाहर रहे हैं । मनुष्यों ने बहुत नुकसान किया इनका वगैरह । लेकिन ये भरे पेट वालों की बातें हैं ।
जब ये जीव बस्ती में घुसते हैं, बिना नुकसान किए नहीं जाते । झुंड से निकाल दिया गया नर तो सुरक्षित स्थान पाने तक हफ्तों रुक सकता है । हाथियों को केला , गन्ना , ऑयल पाम के पेड़ बहुत स्वादिष्ट लगते हैं और ये सब लोग आम तौर पर लगाते हैं इधर ! थोड़ी बहुत फेंसिंग सरकार ने कर रखी है लेकिन वह हाथियों के लिए कम ही पड़ती है । जिनके पास थोड़ा बहुत पैसा है वे अपनी ओर से फेंसिंग करवा लेते हैं । बाकी बचे लोगों के लिए खतरा लगातार बना रहता है । तभी कोई पटाखे का इस्तेमाल करता है तो कोई बारूद के गोले का ।
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